हिंदी में… लोक भाषा में इसे ‘माता’, ‘चेचक’, ‘वसंत रोग’ भी कहा जाता है। शास्त्रीय वर्णन आचार्य चरक ने मसूरिका… READ MORE
हिंदी में… स्नायुक रोग का सर्वप्रथम वर्णन वृन्द माधव (9वीं शताब्दी) एवं वांगसेन संहिता (12वीं शताब्दी) में मिलता है।स्नायुक निदान… READ MORE
हिंदी में… नाड़ी परीक्षा का सबसे पहले वर्णन आयुर्वेद के १३ वीं शताब्दी का ग्रन्थ शारंगधर संहिता में मिलता है।… READ MORE
आयुर्वेद में औषधियों की सही मात्रा का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक रोगी की व्यक्तिगत स्थिति, जैसे कि देश (स्थान),… READ MORE
आयुर्वेद मतानुसार रोगी की अष्टविध परीक्षा में एक परीक्षा मूत्र परीक्षा है, जिसके द्वारा रोगी को किस दोष का रोग… READ MORE
पाण्डु व्याधि (अनीमिया) का कारण वात और पित्त दोष होते हैं। इस रोग में रोगी की त्वचा पाण्डु वर्ण (थोड़ी… READ MORE
आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों में रोगी की परीक्षा का उल्लेख मिलता है, जैसे कि चरक संहिता में “दक्षविध रोगी परीक्षा”,… READ MORE
“Dr. Sameer’s insights on Ayurveda have transformed my approach to health and wellness. His guidance has truly made a positive impact on my life!”
~ Vishal Gupta
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