विरुद्ध आहार ऐसे आहार या औषध द्रव्य हैं जो शरीर की धातुओं और दोषों के विपरीत होते हैं। इनसे शरीर के दोषों में वृद्धि होती है, किंतु वे शरीर से बाहर नहीं निकल पाते।
विरुद्ध आहार के उदाहरण
- दूध के साथ मछली का सेवन
- जलीय मांस के साथ मधु, तिल, गुड़, दूध, उड़द, मूली का सेवन
- मूली, लहसुन, सहीजन के बाद दूध का सेवन
- अम्ल (खट्टे) रस के आहार को दूध के साथ लेना
- मधु और दूध के साथ निकुच फल (बड़हर) का सेवन
- सरसों के तेल में भूने कपोत (कबूतर) का मांस, मधु और दूध के साथ
- कांसे के बर्तन में 10 दिन तक रखे घी का सेवन
- मद्य, खिचड़ी और खीर को एक साथ लेना
- खीर खाने के बाद सत्तू का घोल पीना
- दूध के साथ कुलत्थी दाल का सेवन
- दूध के साथ कटहल का सेवन
- मधु को गरम करके लेना
- तिल के कल्क में पकाकर पोई भाजी का सेवन
विरुद्ध आहार के घटक
आयुर्वेद में विरुद्ध आहार के कुल 18 घटक बताए गए हैं:
- देश विरुद्ध – जांगल देश में रूक्ष, तीक्ष्ण आहार या आनुप देश में स्निग्ध, शीतल आहार का सेवन
- काल विरुद्ध – ठंड में ठंडा और रूखा आहार, गर्मी में उष्ण और कटु आहार
- अग्नि विरुद्ध – जठराग्नि के प्रकार के अनुसार अनुकूल आहार न लेना
- मात्रा विरुद्ध – मधु और घी को समान मात्रा में लेना
- सात्म्य विरुद्ध – प्रकृति के अनुकूल न होने वाले आहार
- दोष विरुद्ध – दोषों के समान गुण वाले आहार का सेवन
- संस्कार विरुद्ध – रेंडी की लकड़ी में भूना मोर मांस का सेवन
- वीर्य विरुद्ध – शीतल और उष्ण द्रव्यों का साथ सेवन
- कोष्ठ विरुद्ध – क्रूर कोष्ठ के रोगी को अल्प मात्रा में मल न निकालने वाले आहार
- अवस्था विरुद्ध – परिश्रम या व्यायाम करने वाले व्यक्ति को वात वर्धक आहार
- क्रम विरुद्ध – बिना भूख लगे और बिना मल-मूत्र त्याग किए आहार
- उपचार विरुद्ध – घी के सेवन के बाद शीतल जल का सेवन
- परिहार विरुद्ध – सूअर के मांस के बाद उष्ण द्रव्य का सेवन
- पाक विरुद्ध – कच्चा-पका या अधिक पका आहार
- संयोग विरुद्ध – अम्ल रस और दूध का एक साथ सेवन
- हृदय विरुद्ध – मनपसंद न होने वाला आहार
- संपद विरुद्ध – विकृत रस वाले आहार का सेवन
- विधि विरुद्ध – एकांत में भोजन न करना
विरुद्ध आहार सेवन से उत्पन्न रोग
विरुद्ध आहार से 8 महारोग, इंद्रिय-स्मृति का नाश, दुर्बलता और मृत्यु भी हो सकती है।
विरुद्ध आहार सेवन से रोग की चिकित्सा
- वमन
- विरेचन
- शमन
किसको विरुद्ध आहार से हानि नहीं होती
- युवा और बलवान व्यक्ति
- जो नियमित व्यायाम करता हो
- जिसकी कोष्ठग्नि अच्छी हो
- जो नियमित दूध और घी का सेवन करता हो

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