आयुर्वेद के अनुसार एक संवत्सर, अर्थात एक वर्ष में कुल 6 ऋतुओं का उल्लेख मिलता है: शिशिर, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद और हेमंत।
अंग्रेजी महीने के हिसाब से सितंबर और अक्टूबर का महीना शरद ऋतु के अंतर्गत आता है। शरद ऋतु की विशेषता यह है कि इस समय सूर्य पिंगल वर्ण (हल्का लाल रंग) का होता है और उष्णता बढ़ जाती है। आकाश सफेद बादलों के कारण एकदम साफ दिखाई देता है, और पृथ्वी पर दीमक वाली मिट्टी नजर आती है। इस ऋतु में कुछ विशेष पौधे, जैसे विजयसार, गुल दुपहरिया, काश, और झींटी में फूल खिलते हैं।
शरद ऋतु में सूर्य की किरणों के कारण शरीर में पित्त दोष प्रकुपित हो जाता है। इसलिए इस समय हमें ऐसा भोजन ग्रहण करना चाहिए, जो पित्त दोष को शांत करे। तिक्त (कड़वा), कषाय (कसैला), मधुर (मीठा) और शीतल (ठंडा) भोजन इस ऋतु में लाभकारी होता है। दुग्ध, गुड़, शहद, और शाली चावल जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना गया है।
इस ऋतु में दिन के समय सूर्य की किरणों से तप्त जल और रात में चन्द्रमा की किरणों से शीतल जल, जिसे अगस्त्य नक्षत्र के प्रभाव से विष रहित हंसोदक कहा जाता है, अमृत के समान पवित्र माना गया है। इसका सेवन स्वास्थ्यवर्धक होता है। इस समय शरीर पर, विशेषकर शिर (सिर) और पैरों पर चंदन का लेप लगाकर रात्रि में चंद्रमा की किरणों का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
शरद ऋतु में किन चीज़ों का उपयोग नहीं करना चाहिए:
- धूप में अधिक समय बिताना
- दिन में सोना
- पूर्वी दिशा की वायु
- वसा (fat), तेल, मछली, मांस, दही इत्यादि का सेवन

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